आज के समय में आम लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर जागरूक होते जा रहे हैं, और वह नए -नए प्रयोग करने को आतुर भी रहते हैं। या यूँ कह लीजिये, कि हम अपने पारम्परिक आहार की और धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं। जो कि अपनी अगली

पीढ़ी के लिए कुछ तो उनको इनके बारे में जानकारी दे ही रहे हैं। जैसे कि ऑर्गेनिक शब्जियां, फ्रूट्स आदि।
आज हम यहां ब्राउन राइस के बारे में बता रहे हैं, जिसकी चर्चा आजकल जोरों पर है। जिसको देखो वही ब्राउन राइस खाने को बोल रहा है, या यूँ कहें कि वो ब्राउन राइस खाने की सलाह देता है। कई स्टडीज में भी ये साबित हुआ है, कि ब्राउन – राइस बजाय वाइट राइस के खाना स्वास्थ्य के लिए बेहतर है। यहां हम ब्राउन राइस के बारे में जानते हैं, की ये है क्या …? दरअसल हम आमतौर पर जो चावल खाते हैं, यानी की वाइट राइस, उसी को बिना पोलिश किये या यूँ कहें बगैर रिफाइंड किया रूप है ब्राउन राइस।
ब्राउन राइस को हमारी सेहत के लिए हेल्दी मानने की मूल वजह इसमें पायी जाने वाली परतें। मूलतः राइस में तीन परतें होती हैं, — ब्रान, जर्म और एंडोस्पर्म। ब्रान और जर्म में फाइबर्स, प्रोटीन और आयरन भरपूर होता है।

एंडोस्पर्म में ज्यादातर कार्बोहाइड्रेट होते हैं। लेकिन राइस को रिफाइंड करतेसमय उसकी ब्रान और जर्म दोनों परतें हट जाती हैं। इस प्रोसेस में वाइट राइस में केवल कार्बोहाइड्रेट ही रह जाते हैं, जिस कारण ये राइस हमारी सेहत के लिए नुकसानदायक बन जाता है। चूँकि ब्राउन राइस में ये तीनों परतें मौजूद होती हैं। जिस कारण इसमें कार्बोहाडड्रेट के साथ -साथ प्रोटीन, फाइबर्स और अन्य पोषक तत्व भी शामिल होते हैं। इसीलिए ब्राउन राइस वाइट राइस की तुलना में हमारे लिएक ज्यादा फायदेमंद है।
डाइबिटीज के पेशेंट को चिंता नहीं :
जिन फ़ूड का गलाईसेमिक इंडेक्स और गलाईसेमिक लोड कम होता है, वे ब्लड में ग्लूकोज़ के लेवल को बैलेंस रखते हैं। इसीलिए इसे डाइबिटीज के मरीज खा सकते हैं। इसमें उनको कोई नुकसान नहीं है। वाइट राइस के तुलना में ब्राउन राइस का भी गलाईसेमिक इंडेक्स काफी कम होने के कारण ये डाइबिटीज के पेशेंट के लिए उपयोगी है।
मोटे लोग :
वाइट राइस की तुलना में ब्राउन राइस में फाइबर्स ज्यादा होते हैं। प्रति १०० ग्राम ब्राउन राइस में लगभग २ ग्राम होती है। जबकि इसकी मात्रा वाइट राइस में १- ग्राम से भी कम होती है। ब्राउन राइस में फाइबर्स की मात्रा ज्यादा होने से इसे खाने वाले मोटे ब्यक्ति को ज्यादा संतुष्टि मिलती है। और पेट भी ज्यादा देर तक भरा -भरा रहता है। इसीलिए मोटे लोग ब्राउन राइस को बगैर चिंता के खा सकते हैं।
भरपूर आयरन से युक्त :
हमारे शरीर को रोजाना आयरन की जितनी मात्रा की जरूरत है, वो १०० ग्राम ब्राउन राइस खाने से ५ ग्राम की पूर्ति हो जाएगी। यानी की ५ ग्राम आयरन हमें मिल जायेगा। अगर इसके विपरीत इतने ही वाइट राइस खाएं तो आयरन की पूर्ति केवल १ ग्राम होगी। आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं ब्राउन राइस, वाइट राइस की तुलना में आयरन के मामले में कितना ज्यादा बेहतर है।
इसी वजह से एनिमिक ब्यक्तियों को अक्सर ब्राउन राइस खाने की सलाह दी जाती है।
इम्यून सिस्टम :
इम्यून मजबूत होता है। जिसे हम रोग -प्रतिरोधक क्षमता भी कहते हैं। यही इम्यून सिस्टम हमें कई गम्भीत बिमारियों से बचता है। ये विदित है कि जिंक और सेलेनियम दोनों में ही एंटीऑक्सीडेंट इंजाइम्स होते हैं। जो मानव शरीर में सामान्य फंक्शनिंग के लिए परम् आवश्यक है।
नकारात्मक पहलू :
ब्राउन राइस के इतने फायदे होने के बावजूद वाइट राइस की तुलना में दो नकारात्मक पहलू भी हैं। एक तो इसका स्वाद में कमजोर रहना, और दूसरा इसकी बाजार में उपलब्धता कम होना। इसका अलावा इसका मूल्य ज्यादा होना। दूसरा वाइट राइस जहां खिला -खिला बनता है, वहीं ब्राउन राइस थोड़ा चिपचिपेदार बनता है। इसीलिए ब्राउन राइस का इस्तेमाल बिरियानी और पुलाव में करने में दिक्क्त आती है। इसके अतिरिक्त इसके स्वाद में भी फर्क आ जाता है। लेकिन इस सब के अतिरिक्त अपनी सेहत को देखते हुए यदि इसका
ज्यादा मूल्य और स्वाद से भी समझौता करना पड़े तो बेहतर है। बजाय दवाइयों पर ब्यर्थ करने के।अच्छा खाएं तंदरुस्त रहें।