देश को विकास, सुरक्षा और ताकत की रफ्तार देते हुए इसरो ने आज २२ मई २०१९ में RISAT -२B सेटेलाइट को श्री हरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से सुबह ५:३० बजे सफलतापूर्वक लांच किया।

आइये जानते हैं कि यह सेटेलाइट हमारी सेनाओं और सुरक्षा बलों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है….
इस प्रेक्षपण के बाद अब भारत हर मौसम में चाहे रात हो, बादल हों या बारिश, अंतरिक्ष से दुश्मनों पर बारीकी से नजर रखेगा।
सीमाओं की निगरानी और घुसपैठ रोकने में मदद मिलेगी।
बादल रहने पर रेगुलर रिमोट सेंसिंग या ऑप्टिकल इमेजिंग सैटेलाइट भी जमीन पर मौजूद ऑब्जेक्ट की सटीक पोजिशन नहीं दिखा पाते। यह सेटेलाइट इस कमी को पूरा करेगा। यह हर मौसम में चाहे रात हो, बादल हो या बारिश,
ऑब्जेक्ट की सटीक लोकेशन और उसकी तस्वीरें जारी करेगा। खराब मौसम में भी यह देश के भीतर, दुश्मन देशों और भारतीय सीमाओं की निगरानी कर सकेगा।

हाई रेजोल्यूशन की तस्वीरें लेने में सक्षम :
ऐसा नहीं कि सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक में इस्तेमाल हुए उपग्रह भी हाई रेजोल्यूशन की तस्वीरें लेने में सक्षम नहीं हैं। रीसैट-2बी सेटेलाइट उन उपग्रहों से अलग इस मामले में है, कि खराब से खराब मौसम और घने बादलों में भी इससे हाई रेजोल्यूशन की तस्वीरें ली जा सकती हैं। सक्रिय एसएआर (सिंथेटिक अर्पचर रडार) से लैस इस उपग्रह से अंतरिक्ष से जमीन पर तीन फुट की ऊंचाई तक की बेहद उम्दा तस्वीरें ली जा सकेगी।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष डॉ. के. शिवन के मुताबिक, पीएसएलवी-सी46, ने रिसेट-2बी उपग्रह को 555 किलोमीटर की ऊंचाई पर महज 15 मिनट 30 सेकेंड में सफलतापूर्वक पृथ्वी के निचली कक्षा (लो अर्थ ऑर्बिट) में 37 डिग्री झुकाव पर स्थापित करने में मदद की।अब आसानी से जुटाए जा सकेंगे सर्जिकल या एयर स्टाइकों के सबूत :
मालूम हो कि बीते 26 फरवरी को भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में जब आतंकियों के ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की थी तो उस वक्त मौसम खराब था और आसमान में घने बादल थे। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि तब अंतरिक्ष में मौजूद भारतीय उपग्रह बादलों की परिस्थितियों के चलते ऐसी घटनाओं की तस्वीरें या वीडियो लेने में सक्षम नहीं थे। राजनीतिक कारणों से देश की विपक्षी पार्टियां भी ऐसी स्ट्राइकों के सबूत को लेकर आवाज उठाती हैं। लेकिन, अब हमारी सेनाओं को सर्जिकल स्ट्राइक या एयर स्टाइकों के सबूतों के लिए अलग से मेहनत करने की जरूरत नहीं होगी इस उपग्रह की मदद
से अब बालाकोट एयर स्ट्राइक जैसे अभियानों की तस्वीरें भी ली जा सकेंगी।
देश में कई जगह आपदा राहत कार्य में इसकी सहायता से अब पहले की तुलना में ज्यादा मिलेगी मदद :
रीसैट-2बी सेटेलाइट का भार 615 किलोग्राम है। खुफिया निगरानी के अलावा इससे कृषि, वन एवं आपदा राहत कार्यों में मदद मिलेगी। इसकी मदद से बाढ़ और तूफान के कारण हुए नुकसान का आकलन करने में आसानी होगी। साथ ही
फसलों के उत्पादन का अनुमान भी लगाया जा सकेगा। खरीफ के सीजन (मई से सितंबर) में जब आकाश में बादल होते हैं, इसकी मदद से फसलों की स्थिति, नुकसान आदि का पता लगाया जा सकेगा।
वैज्ञानिकों का दावा है कि इस तरह की निगरानी तकनीक कुछ ही देशों के पास है।
वैज्ञानिक इस सफलता के लिए बधाई के पात्र हैं।
सभी वैज्ञानिकों को बहुत-बहुत बधाई …
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धन्यवाद मित्र
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